Thursday, February 5, 2015

गुजरे कल को आज बना लूँ

जी करता सरताज बना लूँ
या अपना हमराज बना लूँ
याद मुझे है मधुर मिलन भी
गुजरे कल को आज बना लूँ

बागों में मकरन्द छुपा है
दुख में भी आनन्द छुपा है
तेरी यादें और तुम्ही में
गीत-गज़ल औ छन्द छुपा है

जीवन में तब धार नहीं है
अगर किसीसे प्यार नहीं है
प्यार हुआ तो अक्सर यारो
कहने को तैयार नहीं है

यादों पर इक पहरा दे दो
या माथे पर सेहरा दे दो
खुशी अगर मंजूर नहीं तो
जख्म सुमन को गहरा दे दो

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